justice or gold coin:-बादशाह अकबर का दरबार लगा हुआ था. बीरबल सहित सारे दरबारी उपस्थित थे. अचानक अकबर ने बीरबल से सवाल किया, “यदि तुम्हें न्याय और सोने की एक अशर्फी में से एक को चुनना पड़े, तो तुम क्या चुनोगे?”
बिना एक क्षण गवाएं बीरबल बोला, “सोने की अशर्फी.”
बीरबल का जवाब सुनकर अकबर सहित सारे दरबारी हैरान रह गए. अकबर को बीरबल से ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी. इस जवाब पर वे दु:खी भी हुए और नाराज़ भी.
इधर दरबारी बड़े ख़ुश थे. वे हमेशा बीरबल (Birbal) को बादशाह की नज़र में गिराने का प्रयास किया करते और असफ़ल रहते थे. लेकिन इस बार उन्हें कुछ करने की ज़रुरत ही नहीं पड़ी. बीरबल खुद-ब-ख़ुद अपने इस जवाब से बादशाह की नज़रों में गिर गया. वे इंतज़ार कर रहे थे कि अब बादशाह अकबर का अगला कदम क्या होगा? क्या वे बीरबल को सजा देंगे या पद से हटा देंगे?
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सारे दरबारी बादशाह की ओर देखने लगे. अकबर बीरबल (Akbar Birbal) से बोले, “बीरबल! तुमसे मैंने इस जवाब की उम्मीद नहीं की थी. मेरी नज़र में तुम अक्लमंद के साथ ही न्यायप्रिय भी थे. मैं हैरान हूँ कि तुमने न्याय के स्थान पर सोने की अशर्फी क्यों चुनी?”
“जहाँपनाह! जिसके पास जो नहीं होता, वो वही चुनता है.” बीरबल बोला, “आपके राज्य में चारों ओर न्याय है. सबको न्याय मिल जाता है. इस तरह न्याय तो मुझे पहले से ही प्राप्त है. धन की कमी है. इसलिए मैंने सोने की अशर्फी चुन ली.”
अकबर बीरबल के इस जवाब से बहुत खुश हुए और उसे १००० सोने की अशर्फियाँ ईनाम में दी. इधर दरबारी अपना सा मुँह लेकर रह गए.