small bamboo big bamboo:-एक दिन अकबर बीरबल के साथ शाही बाग़ में सैर कर रहे थे. दरबारी कार्यों के अतिरिक्त भी अकबर बीरबल के साथ समय व्यतीत करना पसंद करते थे क्योंकि वे बीरबल को अपना अभिन्न मित्र मानते थे.
बीरबल के साथ का सबसे बड़ा लाभ यह होता था कि उसकी चुटीली बातों से समय अच्छा कटता था. साथ ही बीरबल की अक्लमंदी से कुछ ना कुछ सीखने को मिलता था.
उस दिन भी अकबर बाग़ में टहलते हुए बीरबल से हल्के-फुल्के मिज़ाज़ में बातें कर रहे थे. चलते-चलते उन्हें जमीन में पड़ा हुआ बांस का टुकड़ा दिखाई पड़ा. उसे देखते ही अकबर के दिमाग में बीरबल की परीक्षा लेने का विचार कौंध गया,
उन्होंने बांस का वह टुकड़ा उठा लिया और उसे बीरबल को दिखाते हुए बोले, “बीरबल! ये बांस का टुकड़ा देख रहे हो. तुम इसे बिना काटे छोटा करके दिखाओ, तो मानू.”
बीरबल ने बांस का वह टुकड़ा अपने हाथ में लेकर अकबर की ओर दृष्टि डाली. अकबर के होठों पर मुस्कराहट थी. बीरबल अकबर का मन समझ गया. वह अकबर की हर भाव-भंगिमा से परिचित था. अकबर अक्सर ऐसे प्रश्न बीरबल की बुद्धि के परीक्षण के प्रयोजन से पूछते थे.
उस प्रश्न का उत्तर सोचते हुए सहसा बीरबल की दृष्टि बाग़ के माली पर पड़ी. वह एक लंबा बांस लेकर आम के पेड़ से आम तोड़ रहा था. फिर क्या? बीरबल ने आवाज़ देकर माली को अपने पास बुला लिया.
माली के पास पहुँचने पर बीरबल ने उससे लंबा बांस मांगकर अपने दायें हाथ में ले लिया. अकबर के द्वारा दिया हुआ बांस का टुकड़ा पहले से ही उसके बायें हाथ में था.
माली के लंबे बांस के सामने अकबर का दिया हुआ बांस का टुकड़ा छोटा था. उसे दिखाते हुए बीरबल अकबर से बोला, “जहाँपनाह! देखिये मैंने बिना काटे ही आपका दिया हुआ बांस का टुकड़ा छोटा कर दिया.”
अकबर ने दोनों बांसों को देखा और बीरबल की अक्लमंदी पर मुस्कुरा कर रह गए.