What is the brightest?:-समय-समय पर बादशाह अकबर अपने मंत्रियों और दरबारियों से प्रश्न पूछा करते थे. एक दिन उन्होंने पूछा –
सबसे उज्जवल क्या होता है?
इस प्रश्न का उत्तर किसी ने कपास दिया, तो किसी ने दूध. दोनों में ‘कपास’ को दरबारियों के अधिक मत मिले.
बीरबल शांत था. उसे शांत देख अकबर बोले, “बीरबल तुम्हारा क्या उत्तर है? कपास या दूध?”
बीरबल बोला, “जहाँपनाह! मेरा उत्तर न कपास है न दूध. मेरे मतानुसार सबसे उज्जवल ‘प्रकाश’ होता है.”
बीरबल का उत्तर सुन अकबर बोले, “बीरबल! तुम्हें अपना उत्तर साबित करके दिखाना होगा.”
बीरबल ने हामी भर दी.
अगले दिन दोपहर को अकबर अपने कक्ष में आराम कर रहे थे. उसी समय बीरबल ने उनके कक्ष के दरवाज़े पर एक कटोरा दूध तथा कुछ कपास रख दिया. राजमहल के सभी दरवाज़े बंद होने के कारण उस स्थान पर प्रकाश नहीं आ पा रहा था.
आराम करने के बाद जब अकबर उठे और कमरे से बाहर जाने के लिए दरवाज़े से निकलने लगे, तो उनका पैर कटोरी पर पड़ा और उसमें रखा सारा दूध गिर पड़ा.
तब बाहर बैठे बीरबल ने महल के दूसरे दरवाज़े खुलवाए, ताकि प्रकाश अंदर आ सके. प्रकाश हुआ, तो बादशाह ने दूध का कटोरा, जमीन पर गिरा दूध और कपास ठीक दरवाज़े के सामने देखा. वे बड़े अचंभित हुए. बाहर बीरबल को बैठा देख उनके मन में विचार आया कि ये अवश्य बीरबल की कारस्तानी है. लेकिन क्यों ये उन्हें समझ नहीं आया.
उन्होंने बीरबल से कटोरा भरा दूध तथा कपास दरवाज़े पर रखने का कारण पूछा. यब बीरबल बोला, “जहाँपनाह! कल अपने दरबार में प्रश्न पूछा था कि सबसे उज्जवल क्या है. दरबारियों का उत्तर था कपास और दूध. मेरा उत्तर था प्रकाश. मैंने अपना उत्तर प्रमाणित कर दिया है.”
अकबर को उत्तर अब भी अस्पष्ट था. बीरबल अपनी बात स्पष्ट करते हुए बोला, “जहाँपनाह! दूध और कपास मैंने आपके कक्ष के दरवाज़े पर रख दिया था. इनकी उज्ज्वलता पर किसी को शक नहीं है. किंतु, बिना प्रकाश के ये चीज़ें दिखाई नहीं पड़ी. दरवाज़ा खोलते ही प्रकाश हुआ, तो ये चीज़ें दिखाई दीं. इससे स्पष्ट होता है कि प्रकाश सबसे उज्ज्वल है.”
अकबर बीरबल के उत्तर से संतुष्ट हो गए.
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सब बह जायेंगे
एक दिन बादशाह अकबर अपने सैनिकों को लेकर शिकार के लिए गये. उनके साथ बीरबल भी था. दिन भर शिकार करने के बाद वे शाम होते-होते लौटने लगे. रास्ते में एक गाँव पड़ा. अकबर ने बीरबल से उस गाँव के बारे में जानकारी मांगी, तो बीरबल बोला, “जहाँपनाह! मैं भी पहली बार इस गाँव में आया हूँ. इसलिए इसके बारे में मैं कुछ नहीं जानता. किसी गाँव वाले से पूछकर मैं आपको इस गाँव की जानकारी देता हूँ.”
बीरबल का ये कहना था कि एक आदमी वहाँ से गुजरा, जिस पर बीरबल की दृष्टि पड़ गई और उसने उसे अपने पास बुला लिया. वह आदमी बादशाह अकबर और बीरबल को पहचान गया. पास आकर प्रणाम करके वह हाथ जोड़कर खड़ा हो गया.
बीरबल अकबर से बोला, “जहाँपनाह! इस आदमी से पूछ लीजिये, जो भी आपको पूछना हो.”
अकबर अपने राज्य के अंतर्गत आने वाले गाँव के बारे में और वहाँ की प्रजा की खैरियत जानना चाहते थे. उन्होंने पूछा, “इस गाँव में सब ठीक है ना, कोई परेशानी तो नहीं है?”
“जहाँपनाह! आपके राज में किसी को क्या परेशानी हो सकती है. सब कुशल मंगल है.” उस आदमी ने उत्तर दिया.
“ठीक है! क्या नाम है तुम्हारा?” अकबर ने पूछा.
“गंगा!”
“और पिता का नाम?”
“जमुना!”
“तो माँ का नाम सरस्वती होगा?” अकबर ने चुटकी ली.
“नहीं जहाँपनाह! नर्मदा!” वह आदमी झेंपते हुए बोला.
यह सुनकर बीरबल हँस पड़ा और बोला, “जहाँपनाह! बिना नाव के इस गाँव में प्रवेश नहीं किया जा सकता. अन्यथा इतनी नदियों में सब के सब बह जायेंगे.”
यह सुनकर अकबर ठहाके मारकर हँसने लगे.
मेहमान की पहचान
एक बार नगर के धनी व्यक्ति ने बीरबल (Birbal) को दावत पर बुलाया. बीरबल नियत तिथि को दावत पर पहुँचा. मेजबान ने बीरबल का ख़ूब जोशो-ख़रोश से स्वागत किया.
घर के भीतर प्रवेश करने पर बीरबल ने देखा कि दावत के लिए बहुत से लोग आये हुए हैं. बीरबल (Birbal) को ज्यादा भीड़भाड़ पसंद नहीं थी. उसने धनी व्यक्ति से कहा, “मुझे नहीं पता था कि तुमने ढेर सारे मेहमानों को बुलवाया है.”
“महाशय! मैं जानता हूँ कि आपको ज्यादा भीड़भाड़ वाली जगह जाना पसंद नहीं है. इसलिए मैंने आपके अलावा बस एक ही मेहमान बुलाया है. अन्य व्यक्ति मेरे कर्मचारी हैं.” मेजबान बोला.