what other curryऔर क्या कढ़ी*

what other curry:-एक दिन बीरबल को अपने किसी संबधी के घर दावत में जाना था. इसलिए दरबार की कार्यवाही समाप्त होने के पूर्व ही उसने बादशाह अकबर से जल्दी जाने की अनुमति मांगी. अकबर की अनुमति प्राप्त होने के बाद वह दरबार से चला गया.

what other curry:-एक दिन बीरबल को अपने किसी संबधी के घर दावत में जाना था. इसलिए दरबार की कार्यवाही समाप्त होने के पूर्व ही उसने बादशाह अकबर से जल्दी जाने की अनुमति मांगी. अकबर की अनुमति प्राप्त होने के बाद वह दरबार से चला गया.

अगले दिन जब अकबर से उसकी मुलाक़ात हुई, तो अकबर दावत के बारे में पूछने लगे. खाना कैसा था? खाने में क्या-क्या बना था? आदि.
बीरबल उन्हें पकवानों के नाम बतलाने लगा. वह उन्हें बता ही रहा था कि एक संदेशवाहक किसी कार्य से संबंधित संदेश लेकर आ गया और फ़िर दोनों उस कार्य में उलझ गए. दावत और पकवानों की बात वहीं रह गई. इस घटना को हफ़्तों गुज़र गये.

एक दिन बादशाह अकबर का दरबार लगा हुआ था. अन्य दरबारियों के साथ बीरबल भी दरबार में मौज़ूद था. अचानक अकबर को याद आया कि बीरबल ने उस दिन कहते-कहते अधूरे में ही भोजन की सामग्री का वर्णन छोड़ दिया था. उन्हें बीरबल की स्मरणशक्ति की परीक्षा लेने की सूझी. वे बोले, “बीरबल! और क्या?”
बीरबल फ़ौरन समझ गया कि उस दिन भोजन की बात अधूरी रह गई थी. अकबर उसे ही पूरा करने की गरज़ से पूछ रह हैं. उसने तत्काल उत्तर दिया, “और क्या? कढ़ी! बस”
बीरबल की गज़ब की स्मरणशक्ति देख अकबर बहुत ख़ुश हुए और अपने गले से मोती की माला उतार कर उसे दे दी.
दरबारी समझ न सके कि किस रहस्यमयी बात के लिए बीरबल को मोती की माला मिल गई. बहुत सोच-समझ कर वे इस नतीज़े पर पहुँचे कि बादशाह अकबर को कढ़ी बहुत प्रिय है. इसलिए बीरबल को मोती की माला मिली है.

उनका जी भी मोती की माला के लिए ललचाने लगा. अगले दिन सबने अपने घरों पर बढ़िया कढ़ी तैयार करवाई. उसे बनाने में किसी किस्म की कमी नहीं की गई. उस दिन सब अपने साथ कढ़ी की हांडी लेकर दरबार पहुँचे.

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उन्होंने अकबर के सामने अपनी-अपनी हांडी रख दी. अकबर को समझ नहीं आया कि उन हांडियों में क्या है?
उन्होंने दरबारियों से पूछा, “क्या है इनमें? और इन्हें मेरे सामने क्यों लाये हो?”
दरबारियों ने उत्तर दिया, “जहाँपनाह! हम आपके लिए अपने-अपने घरों से कढ़ी बनवाकर लाये हैं. कल आपने बीरबल द्वारा कढ़ी कहने पर ख़ुश होकर उसे मोती की माला दे दी थी. हमें लगा कि आपको कढ़ी बहुत पसंद है. इसलिए आज आपकी सेवा में कढ़ी हाज़िर हैं.”
दरबारियों की बेवकूफ़ी देख अकबर तिलमिला उठे और आवेश में आकर सबको कैद में डालने का हुक्म दे दिया. वे बोले, “तुम लोग बस नक़ल करना जानते हो. दिमाग का सही इस्तेमाल तो तुम्हें आता ही नहीं है. इसलिए तुम सबको यही सजा मिलनी चाहिए.”
दरबारियों अकबर के सामने नतमस्तक हो गये. वे क्षमा याचना करने लगे. तब अकबर अपना हुक्म वापस लेते हुए बोले, “कसम खाओ कि आइंदा बिना समझे बूझे किसी की नक़ल नहीं करोगे.”
सबने कान पकड़ लिए कि आगे से ऐसा कभी नहीं होगा.

Shraddha Singh
Shraddha Singh

Hello Guys, I am Shraddha Singh, I am Passionate about Digital Marketing. I have been in Digital Marketing since 2024.

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