What else! Furrr :-एक बार बादशाह अकबर को कहानियाँ सुनने का चस्का लग गया. उन्होंने अपने दरबारियों की पारी बांध दी, जो हर दिन आकर उन्हें कहानी सुनाने लगे.
अकबर को जल्दी नींद नहीं आती थी. इसलिए वे देर रात तक लंबी कहानियाँ सुनना पसंद करते थे. किसी भी कहानी से उनका मन भी जल्दी नहीं भरता था.
प्रारंभ में सभी दरबारियों ने उन्हें प्रभावित करने के उद्देश्य से ख़ूब दिल खोलकर कहानियाँ सुनाई, लेकिन धीरे-धीरे वे परेशान होने लगे. लेकिन बादशाह से कौन क्या कहता? डर के मारे सबकी ज़ुबान बंद थी. सबको बस इंतज़ार उस दिन का जब बादशाह का कहानियों का चस्का खत्म हो जाए और उनका इस आफ़त से पीछा छूटे.
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एक दिन बीरबल की कहानी सुनाने की पारी आई. वह बादशाह अकबर के कक्ष में गया और कहानी सुनाने लगा. अकबर की बीरबल से अन्य दरबारियों की तुलना में अधिक अपेक्षा थी. बीरबल ने अकबर को छोटी-छोटी कई कहानियाँ सुनाई, लेकिन अकबर का मन नहीं भरा.
उन्होंने बीरबल से कहा, “बीरबल तुम हमारे सभी दरबारियों में सबसे बुद्धिमान हो. तुम हमें कोई लंबी और सबसे हटकर ऐसी कहानी सुनाओ, जो हमने कभी न सुनी हो.”
बादशाह का हुक्म बजाना बीरबल का कर्तव्य था. उसने “जी हुज़ूर” कहकर कहानी सुनना शुरू किया. अकबर भी बड़े ध्यान से कहानी सुनने लगे. जब भी बीरबल कहानी समाप्त करने का प्रयास करता, अकबर कहते, “और फिर”.
फिर बीरबल को उसमें कुछ और किस्से जोड़ने पड़ते. ऐसा करते-करते रात हो गई. बीरबल को नींद आने लगी. वह घर जाकर सोना चाहता था. लेकिन अकबर की आँखों से नींद कोसो दूर थी. वे बड़े चाव से कहानी सुन रहे थे और बार-बार “और फिर” कहकर कहानी खत्म होने ही नहीं दे रहे थे.
बीरबल समझ गया कि बादशाह ऐसे नहीं मानेंगे. उसे कुछ ऐसा करना होगा कि वे ख़ुद ही उसे वहाँ से भगा दें.
कुछ सोचने के बाद वह बोला, “जहाँपनाह, मैं अब आपको एक नई और सबसे हटकर कहानी सुनाता हूँ. यकीन जानिये आपने पहले कभी ऐसी कहानी नहीं सुनी होगे.”
अकबर की उत्सुकता बढ़ गई.
बीरबल कहानी सुनाने लगा, “एक समय की बात है. एक गाँव में एक किसान रहता था. उसने अनाज रखने के लिए एक बड़ी सी कोठरी बना रखी थी. उस कोठरी में उसका अनाज सुरक्षित रहता था. उस कोठरी में एक छोटा सा छेद रह गया था, जिस ओर किसान ध्यान नहीं दे पाया. एक दिन एक चिड़िया उस छेद से कोठरी में जा घुसी और अनाज का एक दाना लेकर उसी छेद से फुर्र करके बाहर उड़ गई.”
“और फिर…” अकबर उत्सुक होकर बोले..
“फिर दूसरी चिड़िया आई और वह भी कोठरी में से दाना लेकर उड़ गई….फुर्र…” बीरबल बोला.
“और फिर…” अकबर ने फिर से पूछा.
“फिर तीसरी चिड़िया आई और वह भी कोठरी में से दाना लेकर उड़ गई….फुर्र…” बीरबल बोला.
अकबर अब जब भी “और फिर” कहते, बीरबल कह देता, “और फिर एक और चिड़िया आई और दाना लेकर उड़ गई…फुर्र”
अकबर को “और क्या…और क्या” करते-करते और बीरबल को “फुर्र..फुर्र” करते बहुत समय बीत गया. कहानी “फुर्र” से आगे बढ़ ही नहीं रही थी. आखिरकार, अकबर खीझकर बोले, “ये क्या फुर्र..फुर्र लगा रखा है. आगे की कहानी बताओ….”
“जहाँपनाह, आप इतने में ही तंग आ गये. कोठरी के आस-पास तो करोड़ो चिड़िया इकठ्ठी हो गई है. वे सब एक-एक करके कोठरी के अंदर जायेंगी और दाना लेकर उड़ जायेंगी….फुर्र….आपके कहे अनुसार कहानी बहुत लंबी और हटकर है.”
“फुर्र फुर्र” सुनकर अकबर पहले ही बहुत खीझ चुके थे. बीरबल की यह बात सुनकर उनका गुस्सा बढ़ गया और वे चिल्लाकर बोले, “ये क्या वाह्यात कहानी सुना रहे हो…नहीं सुननी ऐसी कहानी…चलो भागो यहाँ से….सोना है हमें”
“जैसा जहाँपनाह का आदेश” कहकर बीरबल मंद-मंद मुस्कुराते हुए वहाँ से चला गया.
सीख
किसी भी तरह की समस्या हो. बुद्धिमानी से काम लेने पर उसका हल निकल ही आता है.